मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद 500 से ज्यादा लोगों ने किया पलायन, मालदा के स्कूल में ली शरण

धूलियान के ग्रामीण बोले - घर जला दिए, पानी में जहर मिला दिया... जान बचाकर भागे

मालदा/मुर्शिदाबाद।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। दो दिन पहले भड़की हिंसा ने इतनी भयावह स्थिति पैदा कर दी है कि अब तक 500 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं। ये सभी शरणार्थी अब मालदा जिले के पारलालपुर हाई स्कूल में शरण लिए हुए हैं, जहां उन्हें स्थानीय लोगों की मदद से खाना और आश्रय मिल रहा है।

इन शरणार्थियों में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वे नाव के जरिए नदी पार कर मालदा पहुंचे हैं। यहां उन्हें अस्थायी राहत मिली है, लेकिन भय और असुरक्षा की भावना अभी भी उनके चेहरों पर साफ झलकती है।

"पानी में जहर मिला दिया, घर जला दिए"

धूलियान से भागकर आए एक ग्रामीण ने बताया कि हिंसा के दौरान उनके घरों को आग लगा दी गई और लूटपाट की गई। उन्होंने बताया कि "हमारे गांव की पानी की टंकी में जहर मिला दिया गया। पानी पीने लायक नहीं बचा। जान बचाने के लिए घर छोड़ना पड़ा।" कई शरणार्थियों ने बताया कि हिंसक भीड़ में 15 से 17 साल के किशोर शामिल थे, जिन्होंने गांवों में उत्पात मचाया।

न राशन बचा, न घर

एक महिला शरणार्थी ने रोते हुए कहा, "अब न घर बचा है, न राशन। कुछ नहीं बचा। मजबूरी में बच्चों को लेकर भागना पड़ा।" पारलालपुर हाई स्कूल के कमरों में इन लोगों ने अस्थायी रूप से डेरा जमा रखा है। स्थानीय डॉक्टर भी मौके पर पहुंचकर मेडिकल जांच कर रहे हैं।


स्थानीय लोगों की मदद से मिली राहत

मालदा के स्थानीय लोगों ने इन शरणार्थियों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। उन्होंने न केवल इन्हें शरण दी है, बल्कि खाने-पीने और दवाइयों की व्यवस्था भी की है। प्रशासन की ओर से भी राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, लेकिन जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं।

स्थिति अभी भी संवेदनशील

हालांकि मुर्शिदाबाद में फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन लोगों का पलायन अब भी जारी है। सवाल यह है कि इन बेघर हो चुके ग्रामीणों को कब तक राहत मिल पाएगी और वे दोबारा अपने घर लौट सकेंगे या नहीं।

(रिपोर्ट: बिहार दस्तक न्यूज डेस्क)








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