नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया है। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच जल वितरण से जुड़ा था और पाकिस्तान की करीब 90% कृषि सिंधु नदी के जल पर निर्भर करती है। इसके जवाब में, सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने का फैसला किया है।
क्या है शिमला समझौता?
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को शिमला (हिमाचल प्रदेश) में हुआ था। यह समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। इसका उद्देश्य 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंध स्थापित करना और सभी विवादों को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाना था।
इस समझौते के मुख्य बिंदु थे:
- भारत और पाकिस्तान सभी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से, बातचीत के ज़रिए हल करेंगे।
- दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
- नियंत्रण रेखा (LoC) का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
- युद्धबंदियों की सुरक्षित वापसी की जाएगी (विशेष रूप से 1971 युद्ध के बाद)।
पाकिस्तान द्वारा रद्द करने का कारण
पाकिस्तान की ओर से इस समझौते को रद्द करने की कोई आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को रद्द किए जाने और जम्मू-कश्मीर से जुड़ी हालिया नीतियों से पाकिस्तान सरकार में असंतोष और बौखलाहट देखी जा रही है। इसी के चलते शिमला समझौते को एकतरफा रद्द करने की बात सामने आई है।
भारत-पाक संबंधों पर संभावित असर
अगर पाकिस्तान वाकई में शिमला समझौते को रद्द करता है, तो यह दोनों देशों के संबंधों में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। इससे:
- द्विपक्षीय वार्ता का रास्ता बंद हो सकता है।
- नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर जा सकते हैं।
- कूटनीतिक प्रयासों को झटका लग सकता है।
विश्लेषकों की राय
विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों द्वारा इस प्रकार के पुराने और महत्वपूर्ण समझौतों को रद्द करना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ख़तरनाक हो सकता है। इससे दक्षिण एशिया में तनाव और भी गहराने की आशंका है।
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