सुई से पद्मश्री तक का सफर! सुजनी कढ़ाई को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वालीं निर्मला देवी


मुजफ्फरपुर (बिहार): बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की सुजनी कढ़ाई कला को न केवल जीवंत बनाए रखने, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाली 75 वर्षीय निर्मला देवी को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। निर्मला देवी ने अपनी सुई और धागे के जरिए हजारों महिलाओं के जीवन में आत्मनिर्भरता की नई रोशनी फैलाई है।

चार दशकों से सुजनी कढ़ाई को संवार रहीं निर्मला देवी ने इस कला को 2006 में जीआई टैग दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी मेहनत और लगन से यह कढ़ाई अब वैश्विक मंच पर चमक रही है। उनकी कलाकृतियां न केवल देश के संग्रहालयों में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी मंचों पर भी प्रदर्शित होती हैं।

भूसरा महिला विकास समिति की स्थापना

निर्मला देवी ने मुजफ्फरपुर के भूसरा गांव में महिलाओं को संगठित करने के लिए भूसरा महिला विकास समिति की स्थापना की। इसके तहत उन्होंने 15 से अधिक गांवों की 1000 से अधिक महिलाओं को सुजनी कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया। इन महिलाओं को इससे न केवल रोजगार मिला, बल्कि उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता भी हासिल हुई।

सुजनी कढ़ाई की शुरुआत और विकास

सुजनी कढ़ाई की परंपरा नवजात शिशुओं के लिए पुराने कपड़ों से बनी शॉल तैयार करने से शुरू हुई। समय के साथ इसमें फूल, मछली, घर जैसी आकृतियों की कलाकृतियां बनने लगीं। निर्मला देवी और उनके प्रयासों ने इस परंपरा को जीवित रखते हुए इसे एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया। आज सुजनी कढ़ाई का उपयोग कुशन कवर, कुर्ते, साड़ियां और अन्य आकर्षक उत्पादों के निर्माण में हो रहा है।

समाज और सरकार की सराहना

निर्मला देवी के इस योगदान को समाज और सरकार ने न केवल सराहा, बल्कि उन्हें कई मंचों पर सम्मानित भी किया। उनके प्रयास से बिहार की यह पारंपरिक कला न केवल ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदल रही है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा बन चुकी है।

निर्मला देवी का यह सफर प्रेरणादायक है और उनके जैसे लोग साबित करते हैं कि सुई-धागे के माध्यम से भी समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

(रिपोर्ट : लोकेश पुष्कर, बिहार दस्तक)





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